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पहली बार नेपाल ने माना- चीन के साथ भी है सीमा विवाद

file photo

नेपाल सरकार ने पहली बार आधिकारिक रूप से स्वीकार किया है कि चीन के साथ उसका सीमा विवाद है. चीन के द्वारा नेपाल के कई जिलों में सीमा अतिक्रमण किए जाने की घटना की जांच के लिए सरकार ने एक हाई लेवल कमेटी का गठन करने का निर्णय किया है. नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउवा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक से चीन के द्वारा सीमा अतिक्रमण किए जाने के मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी के गठन को मंजूरी दी गई है. गृह मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में बनने वाली इस कमेटी में नेपाल के चारों सुरक्षा निकाय के प्रतिनिधि को रखे जाने का निर्णय किया गया है.

ओली सरकार के समय स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने यह शिकायत की थी कि चीन ने नेपाल के हुम्ला जिले के नाम्खा में चीन ने नेपाली भूमि अतिक्रमण कर अपने सैनिकों के लिए 9 भवनों का निर्माण कर लिया है. काफी दबाब के बाद तत्कालीन ओली सरकार ने प्रमुख जिला अधिकारी के नेतृत्व में एक जांच कमेटी का गठन किया था, लेकिन उसके रिपोर्ट आने से पहले ही सरकार के तरफ से बयान देते हुए तत्कालीन विदेश मंत्री ने कहा था कि चीन के साथ किसी भी प्रकार का सीमा विवाद नहीं है, जिस पर सरकार की काफी आलोचना हुई थी.

कई नेपाली अफगानिस्तान से लौटे

आपको बता दें कि नेपाल के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 118 नेपाली अफगानिस्तान से कुवैत के रास्ते राजधानी काठमांडू पहुंचे. नेपाली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सेवा लामल ने कहा कि नेपाली सरकार ने अफगानिस्तान में मौजूद कई विदेशी सरकारों से नेपालियों को बाहर लाने में मदद के लिए अनुरोध किया था.

काठमांडू पोस्ट ने कहा कि नेपाल पहुंचे कई नेपाली नागरिकों को अमेरिकियों ने बचा लिया. नेपाल सरकार ने कहा है कि वह युद्धग्रस्त देश से अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि उनके पास वहां के नेपालियों के बारे में सटीक डेटा नहीं है.

द काठमांडू पोस्ट ने कहा कि विदेश रोजगार विभाग के रिकॉर्ड बताते हैं कि पिछले वित्तीय वर्ष में, जुलाई के मध्य में समाप्त, 1,073 नेपालियों ने अफगानिस्तान में काम करने के लिए परमिट प्राप्त किया था. विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले सात वर्षों में 8,000 से अधिक नेपालियों को अफगानिस्तान में लेबर परमिट जारी किए गए हैं, लेकिन अनुमान है कि 14,000 से अधिक नेपाली फंसे हो सकते हैं. उच्च जोखिम के बावजूद, नेपाली उच्च वेतन के कारण इस संघर्ष-ग्रस्त देश में जाना पसंद करते हैं.

नेपाल सरकार, नेपाली अधिकारियों के अनुसार, पहले ही अधिकांश विदेशी मिशनों संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ संचार स्थापित कर चुकी है उनके साथ काम करने वाले नेपालियों को वापस लाने में मदद करने का अनुरोध किया है.

(Disclaimer: यह खबर सीधे सिंडीकेट फीड से पब्लिश हुई है. इसे Rang De Basanti  टीम ने संपादित नहीं किया है.)

Rajeev Chaudhary

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