अब चर्च पर सवाल खड़े करने लगे भारतीय ईसाई

हिंदी फिल्मों में भले ही लहराते सफेद लम्बे चोंगे एक हाथ में बाइबल और गले में क्रोस के चिन्ह डाले पादरियों को दया की मूर्ति और मानवता के पुजारी दिखाया जाता रहा हो। लेकिन एक महिला ईसाई आईएएस अधिकारी शैलबाला मार्टिन ने चर्च के पादरियों और ईसाई समाज के उच्च धर्माधिकारियों की पोल खोलकर रख दी। शैलबाला मार्टिन ने लिखा कि ये धर्मगुरु धर्म की आड़ में चर्च की जमीनों का सौदा कर रहे हैं। यही नही शैलबाला मार्टिन ने कहा कि सफेद चोगा पहनने वाले इन पादरियों ने चर्च को डाकुओं के छिपने की जगह के जैसा बना दिया है। धर्म के नाम पर धंधा करने वालों को पहचानो। ईसाई समाज की संस्थाएं घिनौने षड्यंत्रों से गुलजार हो रही हैं। यीशु मसीह के नाम पर लोग अपनी दुकानें चला रहे हैं।

शैलबाला मार्टिन यही नहीं रुकी उसने लिखा कि पादरियों के लिए धर्म धंधे का माध्यम मात्र बन गया है। सफेद चोगा पहन कर जमीनों की खरीद फरोख्त में आकंठ डूबे ये पादरी वास्तव में धर्म को लज्जित करने में लगे हैं। अभी इनमें से चंद रंगे सियार ही कानून के शिकंजे में आए हैं, लेकिन कई अभी खुले घूम रहे हैं। ईसाइयत के नाम पर चांदी काट रहे इन धंधेबाज धर्म प्रचारकों को समय रहते पहचानिए…

दरअसल पूरे मामले को समझने से पहले पिछले महीने की एक खबर यहाँ बेहद जरुरी है। अखबारों में गत दिनों छपी खबरों के अनुसार ईसाई समाज के पूर्व बिशप पी. सी. सिंह के आवास, दफ्तर, नागपुर स्थित सी एन आई के दफ्तर, और उनके एक सहयोगी के निवास पर ईडी की टीम ने छापा मारा था। इस कार्रवाई के दौरान अफसरों को बिशप के घर से 1 करोड़ 65 लाख रुपए कैश मिले थे। इसके अलावा 18 हजार डॉलर, 118 पाउंड सहित 2 किलो सोने चांदी जेवर मिले थे। विभाग ने मिशनरी की जमीन की खरीद फरोख्त मामले में तत्कालीन बिशप पीसी सिंह उसके बेटे, पत्नी और उनके दोस्त सुरेश जैकब को भी आरोपी बनाया था।

अब शैलबाला ने आवाज उठा दी क्योंकि वह एक अफसर है। अगर कोई चर्च जुड़ा व्यक्ति आवाज उठाता है तो उसे चर्च की सदस्यता समाप्त करने की धमकी दी जाती है। दूसरा ईसाइयत के नाम पर कई राज्यों में स्केम चल रहे है। 5 दिसम्बर 2022 में दैनिक जागरण ने सरकारों के कान खोलते हुए खबर छापी थी कि नेटवर्क मार्केटिंग की तर्ज पर खेल रहीं मिशनरियां, हो रहा अवैध चर्च निर्माण और आदिवासियों का मतांतरण।

इसके अलावा भी याद कीजिये झारखण्ड की पिछली सरकार के समय कैसे एनजीओ के नाम पर विदेशी फंड के दुरुपयोग और बच्चे बेचने के मामले को लेकर सुर्खियों में रहीं झारखण्ड की मिशनरी संस्थाएं जांच के घेरे में आई थी। तब सीआईडी की जांच में इस बात का खुलासा हुआ था कि राज्य के कई जिलों में चर्च और मिशनरीज संस्थाओं के नाम पर मिशनरीज ने आदिवासियों की कई एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है। जब तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जाँच के आदेश दिए तो मिशनरीज में खलबली मच गई। मुख्यमंत्री रघुवर दास पर हिन्दुत्व का चेहरा होने अल्पसंख्यकों के हक़ छिनने के आरोप लगने लगे। स्केम बड़ा था और केंद्रीय गृह मंत्रालय तक बात पहुंची तो गृह मंत्रालय के निर्देश पर चर्चों , मिशनरी संस्थाओं के द्वारा विदेशी फंडों के दुरुपयोग की जांच कर रही सीआईडी ने जब इन संस्थाओं के कागजात खंगालने शुरु किए तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये। इसमें इस बात का भी खुलासा हुआ कि चर्च, एनजीओ और मिशनरीज के नाम पर आदिवासीओं और सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा भी किया गया है।

राज्य सरकार ने भी सीआईडी जांच से जुड़े इस खुलासे को गंभीरता से लिया। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने संदेह के घेरे में आये चर्च , मिशनरीज की जांच और उन पर कार्रवाई के निर्देश दिया है जो आदिवासी और सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर रखे है। मुख्यमत्री ने निर्देश के बाद राज्य के भूमि एंव राजस्व विभाग ने बाकयदा पत्र जारी कर संबंधित जिलों के डीसी को भेज कर जांच शुरु करवा दी है। अतिक्रमित जमीन मुक्त होने लगी, पता चला कि रांची , खूंटी , सिमडेगा और गुमला जैसे आदिवासी बहुल और पिछड़े जिलों में अतिक्रमण सबसे अधिक हुआ था।

मामला दिल्ली तक पहुंचा। संसद में शोर मचा। तब राज्यसभा सांसद समीर उरांव ने चर्च पर आरोप लगाया कि वह सेवा कार्य के बहाने आदिवासियों की जमीन लूट रहा है। कहीं आदिवासी पहनावे में मरियम माता के मंदिर बनाये जा रहे है। तो कहीं जीसस को आदिवासी की तरह दिखाया जा रहा है। इसके अलावा उनके द्वारा संचालित स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान और अस्पताल जैसे सेवा कार्यों के नाम पर आदिवासी समाज के लोगों की जमीन पर कब्जे किये जा रहे है। राज्यसभा सांसद समीर उरांव ने इसकी गहन जाँच की मांग करते हुए कहा था कि जनजाति पारंपरिक धार्मिक-सांस्कृतिक सरना, मसना, जाहेरस्थान, ससनदिरी स्थल, देवीगुड़ी, देशवाली जैसे आस्था से जुड़े धरोहर स्थलों पर सामूहिक बल प्रयोग कर चर्च का निर्माण कराया गया।

मामला चर्चा का विषय बना तो प्रदेश अध्यक्ष रामकुमार पाहन ने एक खुलासा और किया कि चर्च और अफीम माफिया पत्थलगड़ी पर अवैध कब्जे करवा रहे है। दरअसल पत्थलगड़ी उन पत्थर स्मारकों को कहा जाता है जिसकी शुरुआत इंसानी समाज ने हजारों साल पहले की थी। यह एक पाषाणकालीन परंपरा है जो आदिवासियों में आज भी प्रचलित है। लेकिन ईसाई मिशनरीज ने क्या किया कि वे पत्थलगड़ी की आड़ में अवैध पत्थलगड़ी करवा रहे थे। यानि जीसस की कुछ ऐसी मूर्ति बनाकर जमीन में गाड रहे थे ताकि आदिवासियों को लगे कि जीसस तो हजारों लाखों वर्षों से उनके बीच रहा है और वही उनका भगवान है। जिस जमीन में पत्थलगड़ी करते कुछ दिनों बाद शोर मचाकर जगह को धार्मिक घोषित करते और मिशनरीज के काम के लिए ले लेते।

मामले खुलने लगे अचानक गुमला से विधायक रहे शिवशंकर उरांव भी उठ खड़े हुए और कहा कि आदिवासी बहुल इलाकों की सरकारी भूमि पर चर्च के द्वारा क्रूस गाड़ा जा रहा है। सार्वजनिक चौक-चौराहों, जंगल और पहाड़ों पर भी ईसाइयों का प्रतीक चिन्ह क्रूस गाड़कर कब्जा किया जा रहा है। जाँच चल रही थी। अकेले जशपुर जिले में ही ऐसे करीब 250 मामले सामने आए जिनमें कानून का उल्लंघन कर एसटी वर्ग की जमीन पर चर्च बनाए गए थे। हाई कोर्ट ने 6 महीने के भीतर ऐसे सभी मामलों के निपटारे के निर्देश दिए। इसके बाद अधिकांश मामलों में चर्च को जमीन खाली करने के आदेश दिए गए थे। लेकिन दुर्भाग्य से कई साल बीतने के बाद जमीनें खाली नहीं हुई।

सिर्फ इतना ही नहीं बाइबिल का हर भाषा में अनुवाद करने के मिशन पर काम कर रही संस्था ‘अनफोल्डिंग वर्ल्ड’ के सीईओ डेविड रीव्स ने 2021 में बताया था कि भारत में 25 साल में जितने चर्च बने थे, उतने अकेले कोरोना काल में बनाए गए हैं। उन उन जगहों पर भी चर्च बनाये जहाँ जाने के लिए रास्ता तक नहीं है। यानि ईसाई मिशनरी का लैंड जिहाद था। जहाँ खाली जगह दिखी ये क्रॉस गाड़ देते हैं। चर्च बना लेते हैं। कुछ समय बाद प्रशासनिक मिलीभगत से वहाँ जाने का रास्ता तैयार हो जाता है और फिर प्रार्थना होने लगती है. बाद में विरोध होता लेकिन वोट बैंक ना इधर-उधर हो जाये राजनितिक दल मौन साध लेते। और प्रसाशन पीछे हटने को मजबूर हो जाता।

झारखण्ड में भी ऐसा ही हुआ पादरियों के घोटालों खुलने पर वो हेमन्त सोरेन के खेमे में लामबंद होने लगे। राज्य में चुनाव हुए मिशनरीज रघुबरदास सरकार के खिलाफ वोट करने का आह्वान करने लगी। नतीजा ये हुआ कि चुनाव जीतकर कांग्रेस के गठबंधन करके झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सरकार बनाई और शपथ लेते ही हेमन्त हेमंत सोरेन सीधे रांची के पुरुलिया रोड स्थिति कार्डिनल हाउस पहुंचे। आर्च बिशप फेलिक्स टोप्पो से आशीर्वाद लिया। यहां जमा हुए बिशप फादर पादरी कहते हैं इस दिन का पांच साल से इंतजार था। आलम ये था कि रांची शहर सहित राज्यभर में धूमधाम से चर्चों में खुशियां मनाई जा रही थी।

इस ख़ुशी का कारण सिर्फ इतना था जो आईएएस शैलबाला मार्टिन बता रही है कि सफेद चोगा पहनने वाले इन पादरियों ने चर्च को डाकुओं के छिपने की जगह के जैसा बना दिया है। ये धर्म की आड़ में चर्च की जमीनों का सौदा कर रहे हैं। लेकिन आस्था में अंधे नये नये ईसाई इसे जीसस के आगमन का सुसमाचार समझ रहे है। वो भूल गये कि केन्या के नेता जेमो केन्याटा कहा था। जब केन्या में ईसाई मिशनरियां आर्इं, उस समय हमारी धरती हमारे पास थी और उनकी बाइबिल उनके पास। उन्होंने हम से कहा आँख बंद कर प्रार्थना करो, जब हमारी आंखें खुलीं तो हमने देखा कि उनकी बाइबिल हमारे पास थी और हमारी धरती उनके पास।

आज भारत में भी यही हो रहा है एक दिन आदिवासियों के हाथ में बाइबल होगी और उनकी जमीन पर इन सफेद चोगा पहनने वालों का कब्जा। एक कहावत भी है कि जिसके पास जमीन होती है देश भी उसी का होता है।

AUTHOR BY – RAJEEV CHOUDHARY

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